देता है ज़िन्दगी क्यों तू ,क्यों मुझमे तू मिलता नहीं
देता है ऐसा सफर क्यों, हैं मंज़िलें जिनकी नहीं
कह दे खुदा है कैसा खुदा तू ,जो बस में तेरे कुछ भी नहीं
कोई तो वजह होगी जो यूँ मजबूर तू भी कहीं
देता है ऐसा सफर क्यों, हैं मंज़िलें जिनकी नहीं
कह दे खुदा है कैसा खुदा तू ,जो बस में तेरे कुछ भी नहीं
कोई तो वजह होगी जो यूँ मजबूर तू भी कहीं
No comments:
Post a Comment