अगर खिलाफ हैं होने दो, जान थोड़ी है
ये सब धुआं है ,कोई आसमान थोड़ी है ।
लगेगी आग ,तो आयेंगे घर कई जद में
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।
मुझे खबर है के दुश्मन भी कम नहीं
लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है।
हमारे मुंह से जो निकले वही सदाकत है
हमारे मुंह में तुम्हारी जुबान थोड़ी है।
जो आज साहिबे मसनद हैं, कल नहीं होंगे
किरायेदार हैं ,ज़ाती मकान थोड़ी है
सभी का खून है शामिल यहाँ की मिटटी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है।
- राहत इंदौरी
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