NOTES TO MYSELF
Thursday, 22 May 2014
A RANDOM THOUGHT
दुनिया को हकीकत मेरी पता कुछ भी नहीं
इलज़ाम हज़ारों हैं और खता कुछ भी नहीं
दिल में क्या है यह पढ़ न सकोगे
सारे पन्ने भरे हैं लिखा कुछ भी नहीं
-ANONYMOUS
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