Tuesday 21 June 2022

SAFAR THHA

 

 

आगे सफर था और पीछे हमसफर था..

रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता..

मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..

दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता...

मुद्दत का सफर भी था और बरसो  का हमसफर भी था

रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....

आगे सफर था और पीछे हमसफर था.


COURTSEY:ANJAAN SHAYAR

No comments:

Post a Comment