कौन सी जा है जहाँ जल्वा-ए-माशूक़ नहीं
शौक़-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर
–अमीर मीनाई
(जा = जगह,अवसर)
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल
हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल
हुए!!!
वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र
होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त
होता!!!
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