Saturday 28 June 2014

DHIKKAR HAI


जिन पंखों में जान नहीं ,जिन दिलों में उड़ान नहीं,

जिन आँखों नें ना सपने देखे,ना सही मायनों में अपने देखे

जो दोस्तों को पहचान ना पाए ,जो कुदरत का इशारा जान ना पाए

ऐसी जिंदगियों का होना न होना बेमानी है ,ऐसी लहरें तो आनी जानी हैं

धिक्कारता हूँ उन फैसलों को,जो ज़िन्दगी को नकारते हैं,

शर्मसार हूँ उन लोगों पर ,जो सिर्फ मदद को पुकारते हैं

याद रखना ऐ दोस्त,

जिन नावों की पतवार नहीं होती,उनकी किस्मत का फैसला लहरों पर होता है.

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