कागज़ की कश्ती जो छूटी तो छूटी,उम्मीदों की हस्ती जो
टूटी तो टूटी
अंधेरों से लड़ते यह जीवन के पल,,कल यादों के सागर में
ढल जायेंगे
हौसलों से बढ़ते यह अपने क़दम ,मुस्कुराहटों के सबब बन
जायेंगे
अपने हाथों में फिर किसी का हाथ होगा,उम्मीदों का
दिलों में फिर साथ होगा
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