Sunday, 13 July 2014

EHSAAN


एहसान, इतना तू कर दे,

अपनी बाँहों का एहसास, मेरी बाँहों में भर दे

वोह घने गेसू जो तेरे रुखसार पे गिरते हैं,

उन जुल्फों का एहसास, मेरे चेहरे पे कर दे

तेरे लबों की नरमी जो अब तक मेरे लबों पर सरमाया है,

 उस नरमी को, मेरे लबों में भर दे

तेरे लरजते बदन का एहसास जो मैंने किया,

उस कंपकपाहट को, मेरी सांसों  में कर  दे

मेरे होठों की छुअन से बन्द होती तेरी आँखें,

उन् बन्द आँखों का अक्स, मेरी आँखों में भर दे

तुझे कोई और छुएगा और चाहेगा,

इस दर्द भरे ख्याल से, जुदा मुझको तू कर दे

चाहत मेरी जानलेवा हो चली है,

तुझे मुकम्मल मैं  पा लूँ, इस ख्वाहिश को, पूरा तू कर दे

तेरी आँखें बहुत बोलती हैं मुझसे,

उन  अनकहे  ख्यालों को, तू मेरे ज़ेहन में भर दे

तुझसे जुदा होने के ख्याल से तन्हा हो चला हूँ मैं,

अपने होने का एहसास, मेरी रूहों में भर दे

जाना तेरा यकीनी है मालूम है मुझे,

तू ना कभी जायेगी, इस झूठ का यकीन, मेरे दिल में तू कर  दे

एहसान इतना तू कर दे.

 

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