तुम बहुत ही अच्छी हो,दिल की सीधी और सच्ची हो,
चाहे कोई भी ईनाम मिले या लोगों को हों शिकवे गिले
इस सच्चाई का साथ ना छूटे, बाकी सब हैं वादे झूठे
दुनिया में जो दर्द मिलते हैं ,टूटे दिल को जब हम सिलते हैं ,
जी करता है ईमान ना रक्खें ,दर्द का कोई सामान ना रक्खें
ऐसा कोई सपना ना रखना ,वैसा कोई अपना ना रखना
छल कपट का जो पाठ पढाये ,दो और दो को आठ पढाये
ऐसों का तुम साथ न रखना,उन हाथों में
हाथ न रखना,
जिस जीत में आत्मा बिके वो जीत नहीं
होती,
झूट से लेनी पड़े वोह प्रीत नहीं होती ,
तुम बहुत ही अच्छी हो,दिल की सीधी और
सच्ची हो
बस तुम ऐसी ही रहना ,बस तुमसे है इतना कहना
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